Ritu

Ritu Reflects

Reflections on life, poetry, and personal experiences

कौन तय करे

कौन तय करे

कि

तेरी रात कैसी होगी...

सुबह का भी नहीं पता और तू कहता है

कि

मेरी शाम ऐसी होगी...

रोज़ की सुबह

और रोज़ की रात...

बेवक्त है जैसे मेरे जज़्बात...

..पल में

और

पल में बिखर भी गए...

मानो जैसे धुआं-धुआं सा हो आस-पास

उधेड़-बुन सी है

ये कोशिशें मेरी...

आखिर होगा वही

जो ख्वाहिश है तेरी...